ना चलती कलम मेरी, ना तुझे मुझ पर एतबार होता, ना तुम मेरे पास आती, ना तेरा दीदार होता | ना मैं मुस्कुराता, ना तुम नजरें झुकाती , ना मैं गुनगुनाता , ना तुम गजले सुनाती, ना हम मिलते, ना होती चार बातें, ना होती इतनी खुशियां, ना स्वप्न हरण होता I ना चलती कलम मेरी, ना तुझे मुझ पर एतबार होता, ना तुम मेरे पास आती, ना तेरा दीदार होता ...... ना सपनों में रोज आती, ना कुछ व्यवहार होता, ना हम मिलते, ना हमें इकरार होता, ना होता कुछ फ़साना, ना गिलवे चार होते, ना नजर तुम मिलाती ना मुझे तुमसे प्यार होता | ना चलती कलम मेरी, ना तुझे मुझ पर एतबार होता, ना तुम मेरे पास आती, ना तेरा दीदार होता .......
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